वायरस का प्रसारक्रम

 कम्प्युटर वायरस के उत्पत्ति एवं विकास में कम्प्युटर प्रगती के विकासक्रम का सीधा सम्बन्ध रहा है| शुरूआती दौर में वायरस प्रसार के माध्यम बेहद ही सिमित थे, जैसे आंकड़े अदन-प्रदान के लिए फ्लॉपी डिस्क ही हुआ करते थे| साथ ही साथ उन दिनों कम्प्युटर का प्रचलन भी बेहद कम था| कम्प्युटर का उपयोग कुछ बड़े संस्थाओं में ही हुआ करता था| उस दौर में प्रोग्रामिंग कोड लिखना और उसमें नए नए प्रयोग करना एक जूनून सा हुआ करता था| सन् १९७० के दौरान आर्पानेट (Arpanet) जो की आज के इन्टरनेट का जनक है चलन में था| सर्वप्रथम जानकारी के अनुसार "क्रीपर" नामक वायरस कम्प्युटर के मोडेम का उपयोग कर आर्पानेट के जरिये DEC PDP-१० नामक कम्प्युटर को संक्रमित करता था| यह बोंब थॉमस द्द्वारा प्रयोगात्मक उद्देश्य से लिखा गया वायरस कोड था जो अपनी पुनरावृत्ति स्वयं ही करने में सक्षम था| आर्पानेट के जरिये क्रीपर दूरस्थ कम्प्युटर पर स्थापित हो "मैं क्रीपर हूँ; अगर पकड़ सकते हो तो मुझे पकडो" ऐसा सन्देश प्रदर्शित करता था| क्रीपर को हटानें के लिए रीपर प्रोग्राम लिखा गया|

एक आम धारणा है कि एक प्रोग्राम जो "रोथर J (Rother J)"कहलाता था वह "इन दी वाइल्ड " प्रकट होने वाला पहला कंप्यूटर वायरस था —यह एक कंप्यूटर के बाहर या प्रयोगशाला में बनाया गया, लेकिन यह दावा ग़लत था. लेकिन यह घर में उपयोग में लाये जाने वाले कम्प्यूटरों को संक्रमित करने वाला पहला वायरस था. यह रिचर्ड स्क्रेंता (Richard Skrenta), के द्वारा १९८२ में लिखा गया, इस वायरस नें ख़ुद को (Apple DOS) 3.3 ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ जोड़ लिया और फ्लॉपी डिस्क (floppy disk) के द्वारा फैला. मूलतः यह वायरस एक हाई स्कूल के छात्र के द्वारा निर्मित एक मजाक मात्र था और इसे एक खेल के रूप में फ्लॉपी डिस्क पर डाल दिया गया.इसके ५० वें उपयोग पर Elk Cloner नमक वायरस सक्रिय हो जाता, जो सक्रीय होने पर कंप्यूटर को संक्रमित कर स्क्रीन पर एक छोटी कविता को प्रर्दशित करता था " Elk Cloner:The program with a personality".

इन दी वाइल्ड पहला पीसी वायरस एक बूट क्षेत्र का वायरस था जो (c)ब्रेन ((c)Brain)[३] कहलाता था, इसे फारूक अल्वी ब्रदर्स (Farooq Alvi Brothers) के द्वारा १९८६ में बनाया गया, तथा लाहौर , पाकिस्तान के बाहर संचालित किया गया. इन्होने इस कथित वायरस को उनके द्वारा बनाये गए सोफ्टवेयर की प्रतियों कि चोरी रोकने के लिए बनाया. यद्यपि, विश्लेषकों ने दावा किया कि Ashar वायरस जो, ब्रेन की एक प्रजाति है, संभवतः वायरस के अन्दर कोड के आधार पर इसे पूर्व दिनांकित करता है.

इससे पहले की कंप्यूटर नेटवर्क व्यापक होते अधिकांश वायरस हटाये जाने योग्य माध्यम (removable media), विशेष रूप से फ्लॉपी डिस्क (floppy disk) पर फैल गए. शुरुआती दिनों में निजी कंप्यूटर (personal computer), के कई उपयोगकर्ताओं के बीच नियमित रूप से जानकारी और प्रोग्रामों का विनिमय फ्लोपियों के द्वारा होता था. कई वायरस इन डिस्कों पर उपस्थित संक्रमित प्रोग्रामों से फैले, जबकि कुछ ने अपने आप को डिस्क के बूट क्षेत्र (boot sector) में इंस्टाल कर लिया, इससे यह सुनिश्चित हो गया की जब उपयोगकर्ता कंप्यूटर को डिस्क से बूट करेगा तो यह अनजाने में ही चल जाएगा. उस समय के पी सी पहले फ्लोपी से बूट करने का प्रयास करते थे, यदि कोई फ्लोपी ड्राइव में रह गई है. जब तक फ्लोपी का उपयोग कम नहीं हो गया तब तक यह सर्वाधिक सफल संक्रमण रणनीति थी, in the wild बूट क्षेत्र के वायरसों को बनाना सबसे आसान था.

पारंपरिक कंप्यूटर वायरस १९८० के दशक में उभरे , ऐसा निजी कंप्यूटर का उपयोग बढ़ने के कारण हुआ और इसके परिणाम स्वरुप BBS (BBS) और मॉडेम (modem) का उपयोग, तथा सॉफ्टवेयर का आदान-प्रदान बढ़ गया.बुलेटिन बोर्ड (Bulletin board) सॉफ्टवेयर के आदान प्रदान ने प्रत्यक्ष रूप से ट्रोजन होर्स प्रोग्राम्स को फैलाया, और वायरस लोकप्रिय व्यावसायिक सॉफ्टवेयर को संक्रमित करने के लिए बनाये जाते थे. शेयरवेयर (Shareware) और बूटलेग (bootleg) BBS के वायरस के लिए आम वाहक (vectors) थे. होबिस्ट्स के "पाइरेट सीन" में जो खुदरा सॉफ्टवेयर (retail software), की अवैध प्रतियों का व्य[पार कर रहे थे, व्यापारी आधुनिक अनुप्रयोगों और खेलों को जल्दी प्राप्त करना चाहते थे क्योंकि ये आसानी से वायरसों का लक्ष्य बनाये जा सकते थे.

१९९० के दशक के मध्य के बाद से, मैक्रो वायरस (macro virus) आम हो गए .इनमें से अधिकांश वायरस माइक्रोसोफ्ट प्रोग्राम जैसे वर्ड (Word) औरएक्सेल (Excel) के लिए पटकथा भाषाओं में लिखे जाते हैं. ये वायरस दस्तावेज़ और स्प्रेडशीट को संक्रमित करते हुए माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में फ़ैल जाते हैं.चूंकि वर्ड और एक्सेल मैक OS (Mac OS) के लिए भी उपलब्ध थे, इसलिए इनमें से अधिकांश वायरस Macintosh कंप्यूटर (Macintosh computers) पर भी फ़ैल सकते थे.इनमें से अधिकांश वायरसों में संक्रमित ई मेल भेजने की क्षमता नहीं थी.जो वायरस ईमेल के माध्यम से फ़ैल सकते थे उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक (Microsoft Outlook) COM (COM) इंटरफेस का फायदा उठाया.

मैक्रो वायरस ने सॉफ्टवेयर का पता लगाने में अद्वितीय समस्या उत्पन्न कर दी.उदाहरण के लिए , माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के कुछ संस्करणों ने मेक्रोस को अतिरिक्त रिक्त लाइनॉन के साथ अनुलिपित होने की इजाजत दे दी. वायरस समान रूप से व्यवहार करता था लेकिन इसे एक नए वायरस के रूप में पहचानने की भूल की जा रही थी.एक अन्य उदाहरण में, यदि दो मेक्रो वायरस एक दस्तावेज को एक साथ संक्रमित करते हैं और इन दोनों का संयोजन अपने आप को अनुलिपित कर सकता है, तो यह इन दोनों से "अलग" रूप में प्रकट होता है और एक वायरस होता है जो अपने " अभिभावकों " से अलग होता है.

एक वायरस एक संक्रमित मशीन पर सभी सम्पर्कों को त्वरित संदेश (instant message) के रूप में एक वेब पता (web address) लिंक भेज सकता है. यदि प्राप्तकर्ता, यह सोचता है कि लिंक एक मित्र ( एक विश्वसनीय स्रोत )से है, वह वेब साईट पर लिंक का अनुसरण करता है, साईट पर उपस्थित वायरस इस नए कंप्यूटर को संक्रमित करने में समर्थ हो सकता है और अपना प्रसार करने लगता है.

वायरस परिवार की सबसे नई प्रजाति है क्रोस साईट पटकथा वायरस.यह वायरस अनुसंधान से उभरा और २००५ में इसका अकादमिक रूप से प्रदर्शन हुआ. यह वायरस क्रोस साईट पटकथा (cross-site scripting) का उपयोग करके प्रसारित होता है. २००५ के बाद से in the wild, क्रोस साईट पटकथा वायरसों के बहुत से उदहारण रहे हैं, सबसे उल्लेखनीय प्रभावित साईटें हैं माइस्पेस (MySpace) और याहू.

श्रोत कड़ी: विकिपीडिया - कम्प्युटर वायरस
अन्य कडियाँ:
http://computer.howstuffworks.com/virus2.htm
http://www.pc-history.org/pc-virus.htm




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