कम्प्युटर वायरस (विषाणु)

कम्प्युटर की कार्यप्रणाली पुरी तरह से कम्प्युटर प्रोग्राम पर निर्भर होता है, तरह-तरह के कार्य करने के लिए विशेष प्रोग्राम प्रयोग में लाये जाते हैं| विज्ञान के अविष्कार मानव सभ्यता के लिए वरदान होने के साथ ही साथ कभी-कभी अभिशाप भी बन जाते है, जहाँ एक तरफ़ परमाणु शक्ति का उपयोग उर्जा श्रोत के लिए वरदान बना हुआ है, दूसरी तरफ़ परमाणु बम के रूप में विनाषक अभिशाप भी साबित हुआ है| किसी भी ज्ञान-विज्ञान का वरदान या अभिषाप होना इस पर निर्भर करता है की उसका उपयोग मानव जाती के उत्थान में हो रहा है या उसका पतन करने के लिए| ठीक उसी तरह कम्प्युटर में प्राण-प्रतिष्ठा करने वाला प्रोग्राम यदि किसी दुर्भावना से ग्रसित होकर लिखे गए हैं तो वे हमें लाभ देने के बजाय हमें भारी हानि पहुँचा सकते हैं|

"कम्यूटर वायरस एक ऐसा प्रोग्राम है जो किसी दुर्भावना से ग्रसित हो कर बनाये जाते हैं, जिसका उद्देश्य कम्प्युटर एवं उसमें स्थित महत्वपूर्ण जानकारी को क्षति पहुंचाना होता है|" कम्प्युटर वायरस में ख़ुद की पुनरावृत्ति करने की अनोखी क्षमता होती है, ये कम्प्युटर के हर संचालन स्थान पर अपनी प्रतिलिपि छोड़ उन्हें भी संक्रमित कर देते है, यदि किसी वायरस संक्रमित कम्यूटर में फ्लॉपी डिस्क या पेन ड्राइव जोड़ते हैं तो कम्प्युटर वायरस उनपर अपनी प्रतिलिपि बना कर उन्हें भी संक्रमित कर देता है| फिर जब भी ये संक्रमित फ्लॉपी या पेन ड्राइव जिस भी कम्प्युटर से जोड़े जाते हैं वह भी संक्रमित हो जाता है| इसके अलावा आज इन्टरनेट और ई-मेल के चलन से वायरस का प्रसार तुंरत एवं तीव्र गति से हो रहा है| कम्प्युटर वायरस कम्प्युटर संजाल (Computer Network) की सहायता से उस संजाल से जुड़े सभी कम्प्युटर में आसानी से फैल जाते है| वायरस की यही कार्य-प्रणाली है, इसी प्रकार वायरस अपना प्रसार करते रहते है और देखते ही देखते विश्व भर के कम्प्युटर को संक्रमित कर उन्हें नुकसान पहुंचाते रहते हैं|


कम्प्युटर वायरस कार्य-पद्धति एवं नुकसान पहुँचाने के आधार पर कई तरह के होते हैं इनमें मुख्य हैं -

ट्रॉजन अश्व (Trojan Horse): ये एक वैध्य से लगने वाले कम्प्युटर प्रोग्राम के साथ जुड़े हुए रहते है, आमतौर पर ये इन्टरनेट पर मुफ्त में मिलने वाले प्रोग्राम के जरिये फैलते हैं| ये जिस कम्प्युटर पर स्थिति रहते है उसकी पुरी जानकारी गुप्त रूप से चुरा कर जिसने इन्हें गुप्त रूप से स्थापित किया है उसे भेज देते हैं| ट्रॉजन अश्व विभिन्न प्रकार के मुफ्त में मिलने वाले उपयोगी प्रोग्राम, खेल के प्रोग्राम, किसी अश्लील विश्वजाल के जरिये, किसी प्रचलित प्रोग्राम के नकली प्रतिलिपि के रूप में प्रसारित किए जाते है|

मैलवेयर (Malware): मैलवेयर Malicious Software का संक्षित रूप है| ये कम्पूटर के प्रोग्राम एवं सामग्री को गुप्त रूप से दूषित कर उन्हें क्षति पहुंचाते है| ये इन्टरनेट एवं ई-मेल के द्वारा कम्प्युटर में प्रवेश कर उसे दूषित कर देते हैं|

ऐडवेयर (Adware): ऐडवेयर ADvertisement Software का संक्षिप्त रूप है| ये संक्रमित कम्प्युटर पर किसी उत्पाद विशेष के विज्ञापन को दिखाने के लिए उपयोय में लाये जाते हैं|

स्पायवेयर (Spyware): स्पायवेयर कम्प्युटर के महत्वपूर्ण जानकारी, उपयोगकर्ता के द्वारा इन्टरनेट पर किए कार्य एवं उपयोगकर्ता की रूचि, उपयोगकर्ता के व्यक्तिगत जानकारी को गुप्त रूप से चुराकर स्पायवेयर स्थापित्य करनेवाले व्यक्ति अथवा संस्था को भेज दिया जाता है, जिसका उपयोग वे अपने अनुरूप करते हैं|

कीलागर (Keylogger): कीलागर संक्रमित कम्प्युटर पर किए गए हर कीस्ट्रोक की जानकारी अर्थात कुंजीपटल द्वारा लिखी गयी हर एक जानकारी इकठ्ठा कर जिसने कीलागर स्थापित किया है उसे भेज देता है| इससे उपयोगकर्ता की महत्त्वपूर्ण जानकारी जैसे पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर ईत्यादी ग़लत व्यक्ति या संस्था के हाथ लगने का खतरा बना रहता है|

अन्य प्रकार -
कम्प्युटर वॉर्म (Computer Worm)
रूटकिट (RootKit)

अन्य विश्वजाल:
विकिपीडिया कम्प्युटर वायरस
www.answers.com/topic/computer-virus
www.howstuffworks.com/virus.htm
http://support.microsoft.com/kb/129972

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुरेश प्रताप सिंह28 दिसंबर 2010 को 10:31 pm बजे

    लिखने की शैली बोध गम्य है | वायरस के प्रकार एवं उनसे बचने की जानकारी अति-उपयोगी हो सकती है | अत; दोनों की जानकारी अवश्य दें |

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  2. सुरेश जी धन्यवाद,
    वायरस के प्रकार के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया गया है,
    वायरस से बचने के उपाय नीचे दिए स्रोत पर उपलब्ध है|
    वायरस से बचने की जानकारी:-

    http://learncomputersinhindi.blogspot.com/2009/10/blog-post_9505.html

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  3. Sir,,,,,,,,,,,,,,aapko thanks kahne ke liye mere pass koi sabd hi nahi hai...........Thanku Very Much!!!!

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  4. कम्प्युटर के महत्वपूर्ण जानकारी, उपयोगकर्ता के द्वारा इन्टरनेट पर किए कार्य एवं उपयोगकर्ता की रूचि, उपयोगकर्ता के व्यक्तिगत जानकारी को गुप्त रूप से चुराकर स्पायवेयर स्थापित्य करनेवाले व्यक्ति अथवा संस्था को भेज दिया जाता है, जिसका उपयोग वे अपने अनुरूप करते हैं|

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