अब तक अंतरजाल पता और ई-मेल ID अंग्रेजी में ही बन सकती है, अभी अंतरजाल पता और तक ई-मेल ID का हिंदी में बनना तकनीकी कारणों से नहीं हो पाया है... जिस पर शोध एवं कार्य जारी है..... चूँकि कम्प्युटर की आतंरिक कार्यप्रणाली पूरी तरह से रोमन लिपि पर ही निर्भर करती है और विश्वजाल का पता अथवा ई-मेल ID जिसे एक बार जारी किये जाते हैं वह किसी और को जारी नहीं हो सकते.... इसलिय रोमन एवं देवनागरी लिपि में परस्पर सामंजस्य स्थापित होना भी जरुरी है जो अभी तक नहीं हो पाया है, जिससे की रोमन लिपि में लिखा गया पता तथा देवनागरी लिपि में लिखा हुआ पता अलग-अलग न पहचाना जाये....
इस पर कार्य चल रहा है... उम्मीद की जा रही है की निकट भविष्य में यह संभव भी हो जाये....
जल्द ही हो सकता है कि आपको अपनी मनपसंद वेबसाइट का पता अंग्रेजी के बजाय हिंदी में भी टाइप करने को मिल जाए।
अगर इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स ऐंड नंबर्स (आईसीएएनएन) हरी झंडी दिखा देता है तो डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट जैसे वेब ऐड्रेस हिंदी और तमिल जैसी देसी भाषाओं में भी आपको मिल सकते हैं। ऐसा होने पर भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की तादाद मौजूदा 5 करोड़ से बढ़कर कई गुना हो सकती है।
दुनिया भर में तकरीबन 160 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और उनमें से 50 फीसदी से अधिक लैटिन के अलावा दूसरे अक्षरों वाली लिपि पर आधारित भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं। डोमेन नामों पर नजर रखने वाले गैर मुनाफे वाले संगठन आईसीएएनएन ने इसी हफ्ते दुनिया भर से अपने प्रतिनिधियों की बैठक सोल में बुलाई है।
उसमें वेब पते हिंदी और तमिल में दिए जाने पर फैसला होगा। यदि ऐसा हो गया, तो इंटरनेट के 40 साल के इतिहास का यह सबसे बड़ा बदलाव होगा। इसके बाद गैर अंग्रेजी डोमेन नामों के आवेदन भी स्वीकार होने लगेंगे और अगले साल की दूसरी छमाही में ऐसे नाम मिलने भी लगेंगे।
मिलेंगे मनचाहे सफिक्स
वेब पर नामों में फिलहाल 21 सफिक्स (वेब पते के अंत में इस्तेमाल होने वाले शब्द) लगाए जाते हैं। इनमें डॉट कॉम सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है और तकरीबन 80 फीसदी वेब पतों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा डॉट नेट, डॉट इन्फो या देश से संबंधित सफिक्स जेसे डॉट इन भी इस्तेमाल होते हैं। लेकिन अगर नए बदलाव हो जाते हैं, तो आपको डॉट इंडियन, डॉट मुंबई, डॉट दिल्ली, डॉट अमिताभ बच्चन, डॉट पेरिस जैसे सफिक्स भी अपने वेब पते के अंत में लगाने को मिल जाएंगे।
हां, आपको उनके लिए कीमत भी अदा करनी होगी और यह कीमत 40 लाख से 2 करोड़ रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है। कॉर्पोरेट दिग्गज भी डॉट टाटा, डॉट अंबानी, डॉट बिड़ला और डॉट रिलायंस जैसे नामों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पर हैं कुछ तकनीकी दिक्कतें:
इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी नेट४ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ जसजीत साहनी ने मानते हैं कि भारत में इसमें कुछ वक्त लग जाएगा क्योंकि तकनीकी दिक्कतें रोड़ा बनेंगी। दरअसल फिलहाल आप हिंदी में दुकान शब्द तो टाइप कर सकते हैं, लेकिन डॉट कॉम को हिंदी में टाइप नहीं किया जा सकता।
इस मामले में आईसीएएनएन सभी देशों के सूचना प्रौद्योगिकी विभागों से बात कर रहा है ताकि डॉट कॉम का सही अर्थ हिंदी या तमिल में मिल सके। साहनी कहते हैं, 'डॉट कॉम को हिंदी में क्या कहेंगे? आपको इसका फैसला तो करना ही होगा।'
इस बैठक में हिस्सा लेने सोल जा रहे सिफी टेक्नोलॉजिज के सरकारी मामलों के अध्यक्ष नरेश अजवाणी भी मानते हैं कि वेब पते स्थानीय भाषा में देना भारत जैसे देशों के लिए बहुत अच्छा होगा। उन्होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के पास 22 स्थानीय भाषाओं के फॉन्ट पहले से मौजूद हैं, इसलिए इस काम में दिक्कत नहीं आनी चाहिए।
श्रोत कड़ी: बिज़नस स्टैण्डर्ड
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जल्द ही हो सकता है कि आपको अपनी मनपसंद वेबसाइट का पता अंग्रेजी के बजाय हिंदी में भी टाइप करने को मिल जाए।
अगर इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स ऐंड नंबर्स (आईसीएएनएन) हरी झंडी दिखा देता है तो डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट जैसे वेब ऐड्रेस हिंदी और तमिल जैसी देसी भाषाओं में भी आपको मिल सकते हैं। ऐसा होने पर भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की तादाद मौजूदा 5 करोड़ से बढ़कर कई गुना हो सकती है।
दुनिया भर में तकरीबन 160 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और उनमें से 50 फीसदी से अधिक लैटिन के अलावा दूसरे अक्षरों वाली लिपि पर आधारित भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं। डोमेन नामों पर नजर रखने वाले गैर मुनाफे वाले संगठन आईसीएएनएन ने इसी हफ्ते दुनिया भर से अपने प्रतिनिधियों की बैठक सोल में बुलाई है।
उसमें वेब पते हिंदी और तमिल में दिए जाने पर फैसला होगा। यदि ऐसा हो गया, तो इंटरनेट के 40 साल के इतिहास का यह सबसे बड़ा बदलाव होगा। इसके बाद गैर अंग्रेजी डोमेन नामों के आवेदन भी स्वीकार होने लगेंगे और अगले साल की दूसरी छमाही में ऐसे नाम मिलने भी लगेंगे।
मिलेंगे मनचाहे सफिक्स
वेब पर नामों में फिलहाल 21 सफिक्स (वेब पते के अंत में इस्तेमाल होने वाले शब्द) लगाए जाते हैं। इनमें डॉट कॉम सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है और तकरीबन 80 फीसदी वेब पतों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा डॉट नेट, डॉट इन्फो या देश से संबंधित सफिक्स जेसे डॉट इन भी इस्तेमाल होते हैं। लेकिन अगर नए बदलाव हो जाते हैं, तो आपको डॉट इंडियन, डॉट मुंबई, डॉट दिल्ली, डॉट अमिताभ बच्चन, डॉट पेरिस जैसे सफिक्स भी अपने वेब पते के अंत में लगाने को मिल जाएंगे।
हां, आपको उनके लिए कीमत भी अदा करनी होगी और यह कीमत 40 लाख से 2 करोड़ रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है। कॉर्पोरेट दिग्गज भी डॉट टाटा, डॉट अंबानी, डॉट बिड़ला और डॉट रिलायंस जैसे नामों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पर हैं कुछ तकनीकी दिक्कतें:
इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी नेट४ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ जसजीत साहनी ने मानते हैं कि भारत में इसमें कुछ वक्त लग जाएगा क्योंकि तकनीकी दिक्कतें रोड़ा बनेंगी। दरअसल फिलहाल आप हिंदी में दुकान शब्द तो टाइप कर सकते हैं, लेकिन डॉट कॉम को हिंदी में टाइप नहीं किया जा सकता।
इस मामले में आईसीएएनएन सभी देशों के सूचना प्रौद्योगिकी विभागों से बात कर रहा है ताकि डॉट कॉम का सही अर्थ हिंदी या तमिल में मिल सके। साहनी कहते हैं, 'डॉट कॉम को हिंदी में क्या कहेंगे? आपको इसका फैसला तो करना ही होगा।'
इस बैठक में हिस्सा लेने सोल जा रहे सिफी टेक्नोलॉजिज के सरकारी मामलों के अध्यक्ष नरेश अजवाणी भी मानते हैं कि वेब पते स्थानीय भाषा में देना भारत जैसे देशों के लिए बहुत अच्छा होगा। उन्होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के पास 22 स्थानीय भाषाओं के फॉन्ट पहले से मौजूद हैं, इसलिए इस काम में दिक्कत नहीं आनी चाहिए।
श्रोत कड़ी: बिज़नस स्टैण्डर्ड
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