अंतरजाल खोजी यन्त्र दिग्गज गूगल अब ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने की होड़ में जुट कर अपने प्रतिद्वंदी माइक्रोसॉफ्ट को निकट भविष्य में कड़ी टक्कर देने का उद्घोष कर दिया है| अब गूगल अपने वेब पृष्ठ परिर्वतक 'गूगल क्रोम' ही की तर्ज पर 'नेट बुक' पर चलने हेतु 'क्रोम ओ.एस.' का निर्माण प्रराम्भा कर चुका है| क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम के उप संचालक सुन्दर पिचई ने १९ नवम्बर, २००९ को समाचार सम्मेलन में, गूगल क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम के एक प्रारंभिक संस्करण का प्रदर्शन किया| यह ऑपरेटिंग सिस्टम 'क्रोम ब्राउज़र' की तर्ज पर बनाया जा रहा है जो कुछ-कुछ एक डेस्कटॉप कि तरह ही कार्य करेगा| इससे पहले गूगल नें मोबाइल के लिए गूगल ऐँङ्रॉइङ ऑपरेटिंग सिस्टम पहले ही बना चुका है, जो की माइक्रोसॉफ्ट मोबाइल को टक्कर दे रहा है|
क्रोम ओएस ब्राउज़र आधारित है, और यह एक वेब ब्राउज़र के रूप में netbooks पर चलने के लिए तैयार किया जा रहा है जो की पारंपरिक डेस्कटॉप का वैकल्पिक-संचालन होगा जी की माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसे कंपनियों द्वारा निर्मित किया जाता आ रा हा है| क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम चालू होने में लगभग ७ सेकंड्स या उससे भी कम समय लेगा जो की पूरी तरह से यादृच्छिक स्मृति (RAM) में भरी जाएगी जिससे की इसका कार्य सञ्चालन तीव्र गति से हो सके| चूँकि यह ऑपरेटिंग सिस्टम अंतरजाल उपयोगकर्ताओं को ही ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है, इसमें इस्तेमाल होने वाली सभी अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री अंतरजाल पर ही स्थित होगी| उपयोगकर्ता द्वारा बनाये गए दस्तावेज भी अंतरजाल पर स्थित संचयन प्रणाली पर संरक्षित किये जा सकेंगे| इन सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलने के लिए अत्यंत ही तीव्र बैंडविड्थ की आवश्यकता पड़ेगी ताकी कार्य किसी रूकावट के बिना सही ढंग से चलता रहे|
गूगल क्रोम आपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ताओं के लिए निर्माण में होने वाली देरी से 2010 तक उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन यह 20 नवम्बर को डेवलपर्स के लिए मुक्त स्रोत के रूप में उपलब्ध कर दिया गया है, जिससे की डेवलपर्स इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने लायक अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री (Application Software) तैयार कर सकें|
अन्य श्रोत:
क्रोम ओएस ब्राउज़र आधारित है, और यह एक वेब ब्राउज़र के रूप में netbooks पर चलने के लिए तैयार किया जा रहा है जो की पारंपरिक डेस्कटॉप का वैकल्पिक-संचालन होगा जी की माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसे कंपनियों द्वारा निर्मित किया जाता आ रा हा है| क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम चालू होने में लगभग ७ सेकंड्स या उससे भी कम समय लेगा जो की पूरी तरह से यादृच्छिक स्मृति (RAM) में भरी जाएगी जिससे की इसका कार्य सञ्चालन तीव्र गति से हो सके| चूँकि यह ऑपरेटिंग सिस्टम अंतरजाल उपयोगकर्ताओं को ही ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है, इसमें इस्तेमाल होने वाली सभी अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री अंतरजाल पर ही स्थित होगी| उपयोगकर्ता द्वारा बनाये गए दस्तावेज भी अंतरजाल पर स्थित संचयन प्रणाली पर संरक्षित किये जा सकेंगे| इन सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलने के लिए अत्यंत ही तीव्र बैंडविड्थ की आवश्यकता पड़ेगी ताकी कार्य किसी रूकावट के बिना सही ढंग से चलता रहे|
गूगल क्रोम आपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ताओं के लिए निर्माण में होने वाली देरी से 2010 तक उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन यह 20 नवम्बर को डेवलपर्स के लिए मुक्त स्रोत के रूप में उपलब्ध कर दिया गया है, जिससे की डेवलपर्स इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने लायक अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री (Application Software) तैयार कर सकें|
अन्य श्रोत:
कुछ भी हो गुगल ओएस माईक्रोसाफ्ट का मुकाबला कभी भी नही कर सकता है।
जवाब देंहटाएंजी हां, गूगल को अभी बहुत लम्बा सफ़र तय करना होगा, पर उसने एक शुरुआत तो कर ही दी है...
जवाब देंहटाएंजी हाँ, निकट भविष्य में तो ऐसा होता नज़र नहीं आता, पर हाँ गूगल को कम आंकना भी सही न होगा|
जवाब देंहटाएंउसने सुरुआत एक छोटे से कदम से की है पर क्या जाने भविष्य की गोद में क्या रखा है...!
गूगल ने मिक्रोसोफ्त की ले लेनी है ... गूगल doc से सीखो miicrosoft को भी online जाना पड़ा ...बहुत लूट लिया हम को ... इन्टरनेट बोले तो सिर्फ फ्री
जवाब देंहटाएंYe kya h
हटाएंBrediful Google
Ye post par kar lagta he ki google ek damdar os teyar karega
जवाब देंहटाएंGoogle is Google
जवाब देंहटाएंTo.
Tejas Ravi Kumar